Wednesday 16 July 2014

ये मुमकिन है बहुत महंगा मिलेगा,
भलाई का सिला अच्छा मिलेगा.

यकीं भी कर रहा हूँ तो ये डर है,
मुझे इस बार भी धोका मिलेगा.

है घर ऊंचा मगर मैं सोचता हूँ,
वहां पे आदमी कैसा मिलेगा.

मुझे तुम रास्ता तो कह रहे हो,
अँधेरे का सफ़र लंबा मिलेगा.

मुझे खोकर तुम्हारा क्या गया था,
मुझे पाकर भी तुमको क्या मिलेगा.

इल्तज़ा है की तुम मुझमें ना झांको,
कोई बच्चा तुम्हें रोता मिलेगा.

तसव्वुर में फ़क़ीरों के रहा हूँ,
मेरे घर का कहाँ नक्शा मिलेगा.

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