गया जिसके लिए रुख़ मोड़ कर सारे ज़माने से,
मैं वापस लौट आया हूँ उसी के आस्ताने से.
तमन्ना है कि मिलने का रहे ये सिलसिला जारी,
कभी सच्चे बहाने से, कभी झूंठे बहाने से.
अगर मुझसे कोई रिश्ता नहीं बाक़ी बचा उसका,
बता ख़ुशबू भी आती है क्यूँ उसके आशियाने से.
नहीं मिट पाउँगा उससे ये तूफ़ा जानता भी था,
मगर उसको तो मतलब था मुझे ही आज़माने से.
कभी टूटे भी गरचे हम बिना आवाज़ के टूटें,
कि दुनिया बाज़ आए बेतुकी बातें बनाने से.
नहीं जब तू कहीं मौजूद मुझमें ही रहा तो फिर,
मुझे लेना भी क्या है ये बता अब इस ज़माने से.
परिंदे प्यार के आयें अगर हम में कहीं रहने,
इन्हें मत रोकना अपने दिलों में घर बनाने से.
मेरे लाइक पेज को देखने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें,
https://www.facebook.com/pages/Surendra-Chaturvedi/1432812456952945?ref=hl
मैं वापस लौट आया हूँ उसी के आस्ताने से.
तमन्ना है कि मिलने का रहे ये सिलसिला जारी,
कभी सच्चे बहाने से, कभी झूंठे बहाने से.
अगर मुझसे कोई रिश्ता नहीं बाक़ी बचा उसका,
बता ख़ुशबू भी आती है क्यूँ उसके आशियाने से.
नहीं मिट पाउँगा उससे ये तूफ़ा जानता भी था,
मगर उसको तो मतलब था मुझे ही आज़माने से.
कभी टूटे भी गरचे हम बिना आवाज़ के टूटें,
कि दुनिया बाज़ आए बेतुकी बातें बनाने से.
नहीं जब तू कहीं मौजूद मुझमें ही रहा तो फिर,
मुझे लेना भी क्या है ये बता अब इस ज़माने से.
परिंदे प्यार के आयें अगर हम में कहीं रहने,
इन्हें मत रोकना अपने दिलों में घर बनाने से.
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