Monday 14 April 2014

वो मेरा तो सारे मंज़र मेरे हैं,
ज़मीं आसमां और समन्दर मेरे हैं.

साँसें लेते हैं मेरे अहसासों में,
जितने भी हैं मिट्टी के घर मेरे हैं.

मक़सद एक था साथ में जीने मरने का,
इसीलिए सब कटे हुए सर मेरे हैं.

दुनिया से कम ख़ुद से ज्यादा डरता हूँ,
मुझमें जो ज़िन्दा हैं वो डर मेरे हैं.

दिल की बात जुबां पर ख़ुद आ जाती है,
ये तिलिस्म, ये जादू मंतर मेरे हैं.

जिन महलों के क़द की बातें करते हो,
गौर से देखो नींव के पत्थर मेरे हैं.

अपने-अपने वक़्त को जो गाते रहते,
इस दुनिया के सभी सुखनवर मेरे हैं.

सुखनवर (शायर)



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