Tuesday 8 April 2014

मुझको तेरे नूर का हिस्सा कहते हैं,
अब तो लोग मुझे भी दरिया कहते हैं.

जब से तेरा हुआ हूँ मेरे बारे में,
मेरे अपने जाने क्या क्या कहते हैं.

तू मुझमें दिखता है कोई भी देखे,
लोग मुझे अब तेरा आईना कहते हैं.

घर की सूनी दीवारें रो पड़ती हैं,
सन्नाटे जब मेरा क़िस्सा कहते हैं.

बंद पड़ा कमरा हूँ यादों का जिसको,
बस मकड़ी के जाले अपना कहते हैं.

नींद में मेरे ख़्वाबों की हिम्मत देखो,
मुझे जगा कर उल्टा-सीधा कहते हैं.

तू आए तो शायद ज़िन्दा मान भी लें,
अभी तो दुनिया वाले मुर्दा कहते हैं.

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