अपना उसका किसका मैं चेहरा ढूँढूं,
मुझसा जो है उसमें बता मैं क्या ढूँढूं.
अपने ही हैं सब लेकिन कब अपने हैं,
अपनों में से भी कोई अपना ढूँढूं.
ख़्वाब कि जैसे बच्चे पढ़कर आते हों,
उनमें से अपना कैसे बच्चा ढूँढूं.
तू कहता है तुझमें मेरा सब कुछ है,
चल तुझमें मैं अबकी बार ख़ुदा ढूँढूं.
सफ़र अँधेरे का है जब ये जान लिया,
धूप में जाकर किस-किस का साया ढूँढूं.
इसी तलब से खुद के अन्दर झांक रहा,
बंद मकाँ में खुला हुआ कमरा ढूँढूं.
अपनी नींद में बुला मुझे इक बार कभी,
मैं भी अपने ख़्वाबों का नक्शा ढूँढूं.
मुझसा जो है उसमें बता मैं क्या ढूँढूं.
अपने ही हैं सब लेकिन कब अपने हैं,
अपनों में से भी कोई अपना ढूँढूं.
ख़्वाब कि जैसे बच्चे पढ़कर आते हों,
उनमें से अपना कैसे बच्चा ढूँढूं.
तू कहता है तुझमें मेरा सब कुछ है,
चल तुझमें मैं अबकी बार ख़ुदा ढूँढूं.
सफ़र अँधेरे का है जब ये जान लिया,
धूप में जाकर किस-किस का साया ढूँढूं.
इसी तलब से खुद के अन्दर झांक रहा,
बंद मकाँ में खुला हुआ कमरा ढूँढूं.
अपनी नींद में बुला मुझे इक बार कभी,
मैं भी अपने ख़्वाबों का नक्शा ढूँढूं.
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