Thursday 12 June 2014

बिछुड़ के हमसे तुम्हें भी ख़ुशी नहीं होगी,
बिना हमारे बसर ज़िन्दगी नहीं होगी.

उजाले तुमसे नज़र भी नहीं मिलायेंगे,
छतों पे घर के कभी चाँदनी नहीं होगी.

नदी के सामने प्यासा रहूँ नहीं मुमकिन,
जहाँ मैं प्यासा रहूँगा नदी नहीं होगी.

ख़ुशी के लम्हे तुम्हारे क़दम तो चूमेंगे,
तुम्हारे चेहरे पे लेकिन हँसी नहीं होगी.

हज़ारों बातें ज़माना करेगा ऐसी भी,
किसी से हमने नहीं बात जो कही होगी.

तुम्हारे साँसे भी ख़ुद में हमें तलाशेंगी,
भले ही कह दो कि कोई कमी नहीं होगी.

हमारा नाम तो लिखने का मन करेगा मगर,
क़लम के स्याही में बाकी नमी नहीं होगी.

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