Sunday 15 June 2014

दिल को अपने बेक़रार अब कौन करे,
इश्क़-मुश्क़ और प्यार-व्यार अब कौन करे.

सारी दुनिया को तो पागल कहता है,
इस पागल पर ऐतबार अब कौन करे.

सहराओं ने रखी है जिससे उम्मीदें,
उस बादल का इंतज़ार अब कौन करे.

बेच के गैरत नाज़ है जिसको अपने पर,
उसको जाकर शर्मसार अब कौन करे.

उसके दामन के धब्बों को धोते हुए,
अपना दामन दागदार अब कौन करे.

जिस पंछी ने सैय्यादों की सोहबत की,
उसको अपनों में शुमार अब कौन करे.

नादां हो तो उसे हिदायत दी जाए,
होशियार को होशियार अब कौन करे.

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