हमने उससे उसका मुक़द्दर मांग लिया,
प्यास ने अबकी बार समंदर मांग लिया.
उसके ज़ेहन में शायद कोई घर होगा,
उसने मुझसे नींव का पत्थर मांग लिया.
मुझमें सूना आसमान था जिसके लिए,
उड़ने वाला एक कबूतर मांग लिया.
नींद ना आई फूलों की जब सेज़ों पर,
यादों ने काँटों का बिस्तर मांग लिया.
पाँव का नश्तर, नश्तर से ही निकलेगा,
सोच के उसने किसी से नश्तर मांग लिया.
मौसम ने जब दिल के सहरा को छुआ,
रेत ने बारिश वाला मंज़र मांग लिया.
क़ुर्बानी की उसे नसीहत दी मैंने,
काट के उसने मेरा ही सर मांग लिया.
मेरे लाइक पेज को देखने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें,
https://www.facebook.com/pages/Surendra-Chaturvedi/1432812456952945?ref=hl
प्यास ने अबकी बार समंदर मांग लिया.
उसके ज़ेहन में शायद कोई घर होगा,
उसने मुझसे नींव का पत्थर मांग लिया.
मुझमें सूना आसमान था जिसके लिए,
उड़ने वाला एक कबूतर मांग लिया.
नींद ना आई फूलों की जब सेज़ों पर,
यादों ने काँटों का बिस्तर मांग लिया.
पाँव का नश्तर, नश्तर से ही निकलेगा,
सोच के उसने किसी से नश्तर मांग लिया.
मौसम ने जब दिल के सहरा को छुआ,
रेत ने बारिश वाला मंज़र मांग लिया.
क़ुर्बानी की उसे नसीहत दी मैंने,
काट के उसने मेरा ही सर मांग लिया.
मेरे लाइक पेज को देखने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें,
https://www.facebook.com/pages/Surendra-Chaturvedi/1432812456952945?ref=hl
No comments:
Post a Comment