Thursday 1 May 2014

आईना कब किसे सफ़ाई देता है,
उसमें ख़ुद ही अक्श दिखाई देता है.

मुझको अपने अन्दर के सन्नाटों में,
बस तेरा ही नाम सुनाई देता है.

शिकवो शिक़ायत छोड़ गले मिल जाता हूँ,
जब कोई रिश्तों की दुहाई देता है.

दरीयाओं को जो रफ़्तार अता करता, (अता करना = कृपा पूर्वक देना)
वही समंदर को गहराई देता है.

वफ़ा की राह में क़ुर्बानी लेकर मेरी,
मेरा यार मुझे रुसवाई देता है.

लगती है छोटी दुनिया की हर दौलत,
जब यक़ीन भाई को भाई देता है.

साथ में उड़ने लगता है लुटने का डर,
वो पतंग को जब ऊँचाई देता है.

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