नाम मिटा कर किसी का जब लिक्खा होगा,
उसने कितनी बार मुझे सोचा होगा.
बंद किए होंगे जब शाम को दरवाज़े,
खिड़की से सूना रस्ता देखा होगा.
बिछुड़ के मुझसे साथ बिताए लम्हों को,
उसने अपने सजदों में ढूँढा होगा.
सूख गई है शाखें फिर भी बैठा है,
सोचो वो पंछी कितना तन्हा होगा.
हम दोनों के बीच ही बांटी जायेंगी,
ख़ामोशी का जब-जब भी हिस्सा होगा.
हर बारिश में ज़ख्म हरे हो जायेंगे,
यादों को दफ़नाने से भी क्या होगा.
उसने मेरे आँसू ये कह कर पौंछे,
आगे जो भी होगा वो अच्छा होगा.
मेरे लाइक पेज को देखने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें,
https://www.facebook.com/pages/Surendra-Chaturvedi/1432812456952945?ref=hl
उसने कितनी बार मुझे सोचा होगा.
बंद किए होंगे जब शाम को दरवाज़े,
खिड़की से सूना रस्ता देखा होगा.
बिछुड़ के मुझसे साथ बिताए लम्हों को,
उसने अपने सजदों में ढूँढा होगा.
सूख गई है शाखें फिर भी बैठा है,
सोचो वो पंछी कितना तन्हा होगा.
हम दोनों के बीच ही बांटी जायेंगी,
ख़ामोशी का जब-जब भी हिस्सा होगा.
हर बारिश में ज़ख्म हरे हो जायेंगे,
यादों को दफ़नाने से भी क्या होगा.
उसने मेरे आँसू ये कह कर पौंछे,
आगे जो भी होगा वो अच्छा होगा.
मेरे लाइक पेज को देखने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें,
https://www.facebook.com/pages/Surendra-Chaturvedi/1432812456952945?ref=hl
No comments:
Post a Comment