ख़ुद की नींद से ही चाहे अंजान हूँ मैं,
लेकिन कितने ख़्वाबों की पहचान हूँ मैं.
बाहर से दिखने वाली ख़ामोशी हूँ,
भीतर से उठने वाला तूफ़ान हूँ मैं.
जाने कितनी सदियाँ मुझमें हैं ज़िन्दा,
जाने कितनी सदियों से वीरान हूँ मैं.
फ़ितरत से तो मैं फ़क़ीर ही हूँ लेकिन,
अपनी तबीयत से शाही सुल्तान हूँ मैं.
मुझको जो फ़रमान सुनाते हैं अपने,
वो क्या जाने क़ुदरत का फ़रमान हूँ मैं.
इश्क़ का इक लम्बा रस्ता हूँ मैं लेकिन,
चल कर देखो तो कितना आसान हूँ मैं.
किसी पीर का उतरा हुआ तवर्रुख हूँ. (तवर्रुख = प्रसाद)
किसी ऋषी से मिला हुआ वरदान हूँ मैं.
मेरे लाइक पेज को देखने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें,
https://www.facebook.com/pages/Surendra-Chaturvedi/1432812456952945?ref=hl
लेकिन कितने ख़्वाबों की पहचान हूँ मैं.
बाहर से दिखने वाली ख़ामोशी हूँ,
भीतर से उठने वाला तूफ़ान हूँ मैं.
जाने कितनी सदियाँ मुझमें हैं ज़िन्दा,
जाने कितनी सदियों से वीरान हूँ मैं.
फ़ितरत से तो मैं फ़क़ीर ही हूँ लेकिन,
अपनी तबीयत से शाही सुल्तान हूँ मैं.
मुझको जो फ़रमान सुनाते हैं अपने,
वो क्या जाने क़ुदरत का फ़रमान हूँ मैं.
इश्क़ का इक लम्बा रस्ता हूँ मैं लेकिन,
चल कर देखो तो कितना आसान हूँ मैं.
किसी पीर का उतरा हुआ तवर्रुख हूँ. (तवर्रुख = प्रसाद)
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