होकर ख़ुद से तन्हा बातें करता है,
मुझमें एक परिंदा बातें करता है.
अपने भीतर की ख़ामोशी से घबरा,
मुझसे गूंगा दरिया बातें करता है.
सफ़र में मेरे फैल गये सन्नाटों से,
मैं और मेरा रस्ता बातें करता है.
सूने बंद पड़े घर की दीवारों से,
फ़ुर्सत में आईना बातें करता है.
बसर नहीं करते हैं बातें आपस में, (बसर = घर में रहने वाले)
जिनके घर में पैसा बातें करता है.
शाम को वो जंगल उदास हो जाता है,
दिन भर जिनसे साया बातें करता है.
क़लमा जब भी मुझे पढ़ाता है कोई,
इश्क़ का कोई मदरसा बातें करता है.
मेरे लाइक पेज को देखने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें,
https://www.facebook.com/pages/Surendra-Chaturvedi/1432812456952945?ref=hl
मुझमें एक परिंदा बातें करता है.
अपने भीतर की ख़ामोशी से घबरा,
मुझसे गूंगा दरिया बातें करता है.
सफ़र में मेरे फैल गये सन्नाटों से,
मैं और मेरा रस्ता बातें करता है.
सूने बंद पड़े घर की दीवारों से,
फ़ुर्सत में आईना बातें करता है.
बसर नहीं करते हैं बातें आपस में, (बसर = घर में रहने वाले)
जिनके घर में पैसा बातें करता है.
शाम को वो जंगल उदास हो जाता है,
दिन भर जिनसे साया बातें करता है.
क़लमा जब भी मुझे पढ़ाता है कोई,
इश्क़ का कोई मदरसा बातें करता है.
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