उसने वापस लौट के आना छोड़ दिया,
मैंने भी आवाज़ लगाना छोड़ दिया.
गले लगाना उसने नामंज़ूर किया,
मैंने उससे हाथ मिलाना छोड़ दिया.
उसने मुझसे यादें वापस क्या मांगी,
मैंने भी वो बड़ा ख़ज़ाना छोड़ दिया.
हँसते-हँसते जहाँ उम्र काटी मैंने,
रोते-रोते वही ठिकाना छोड़ दिया.
उसने पूछा जियोगे तुम अब कैसे,
मैंने हाथों से पैमाना छोड़ दिया.
जंगल जैसा जब महसूस हुआ मुझको,
शहर में मैंने आना-जाना छोड़ दिया.
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https://www.facebook.com/pages/Surendra-Chaturvedi/1432812456952945?ref=hl
मैंने भी आवाज़ लगाना छोड़ दिया.
गले लगाना उसने नामंज़ूर किया,
मैंने उससे हाथ मिलाना छोड़ दिया.
उसने मुझसे यादें वापस क्या मांगी,
मैंने भी वो बड़ा ख़ज़ाना छोड़ दिया.
हँसते-हँसते जहाँ उम्र काटी मैंने,
रोते-रोते वही ठिकाना छोड़ दिया.
उसने पूछा जियोगे तुम अब कैसे,
मैंने हाथों से पैमाना छोड़ दिया.
जंगल जैसा जब महसूस हुआ मुझको,
शहर में मैंने आना-जाना छोड़ दिया.
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